Toll Plaza (टोल प्लाजा ) : हम सभी सड़क पर सफर करते हुए टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी कतारों और गाड़ियों के रुकने से होने वाली परेशानी से वाकिफ हैं। हर सफर में यह समस्या होती है, जिससे न सिर्फ समय की बर्बादी होती है बल्कि ईंधन की भी खपत बढ़ती है। अब NHAI (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) ने इस समस्या का स्थायी समाधान निकाल लिया है। जल्द ही टोल प्लाजा का सिस्टम खत्म होने वाला है, जिससे आपको बिना किसी रुकावट के सीधा सफर करने का मौका मिलेगा। आइए, जानते हैं इस बड़े बदलाव से जुड़ी हर जरूरी जानकारी।
Toll Plaza का सिस्टम क्यों हो रहा है खत्म?
NHAI ने घोषणा की है कि भारत में जल्द ही टोल प्लाजा की जगह एक नया और अत्याधुनिक सिस्टम लागू किया जाएगा। इसके पीछे कई बड़े कारण हैं:
- लंबी कतारों की समस्या: टोल प्लाजा पर अक्सर गाड़ियों की लंबी लाइनें लग जाती हैं, जिससे सफर में देरी होती है।
- ईंधन की खपत: बार-बार रुकने और चलने से वाहनों का ईंधन ज्यादा खर्च होता है।
- ट्रैफिक जाम: टोल प्लाजा के पास वाहनों का जमावड़ा होने से कई बार जाम की स्थिति बन जाती है।
- भ्रष्टाचार और गड़बड़ियां: टोल प्लाजा पर गलत तरीके से शुल्क वसूलने की घटनाएं सामने आती रही हैं।
- स्मार्ट ट्रैवलिंग की ओर कदम: भारत अब डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ रहा है, जहां ऑटोमैटिक टोल कलेक्शन जैसी तकनीकें आम होने वाली हैं।
टोल प्लाजा : नया सिस्टम कैसे करेगा काम?
NHAI अब टोल प्लाजा हटाकर GPS आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम को लागू करने जा रहा है। यह एक आधुनिक और स्मार्ट तरीका होगा, जिससे गाड़ियों से सीधे टोल वसूला जाएगा।
- GPS ट्रैकिंग: हर गाड़ी में एक GPS ट्रैकर लगाया जाएगा, जो उसके मूवमेंट को ट्रैक करेगा।
- डायरेक्ट पेमेंट: वाहन जितनी दूरी टोल रोड पर तय करेगा, उसी के हिसाब से टोल शुल्क सीधे आपके बैंक खाते से कट जाएगा।
- कोई रुकावट नहीं: अब गाड़ियों को टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी, जिससे सफर तेज और सुगम हो जाएगा।
- कम खर्च और अधिक पारदर्शिता: इस सिस्टम से टोल की गलत वसूली पर रोक लगेगी और पूरा सिस्टम पारदर्शी होगा।
GPS आधारित टोल सिस्टम से क्या होंगे फायदे?
इस नए सिस्टम से वाहन चालकों को कई बड़े फायदे मिलेंगे:
- समय की बचत: अब घंटों लाइन में लगने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
- ईंधन की बचत: गाड़ी को रोकने और चलाने की परेशानी खत्म होगी, जिससे ईंधन कम खर्च होगा।
- पैसों की पारदर्शिता: टोल शुल्क सीधा बैंक से कटेगा, जिससे गलत तरीके से शुल्क वसूलने की घटनाएं खत्म होंगी।
- पर्यावरण को फायदा: कम ट्रैफिक जाम और कम ईंधन जलने से प्रदूषण भी कम होगा।
- यात्रियों के लिए सहजता: सफर पहले से ज्यादा आसान और सुगम होगा।
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क्या भारत में पहले भी हुआ है ऐसा प्रयोग?
कुछ देशों में यह सिस्टम पहले से ही लागू किया जा चुका है और वहां यह काफी सफल भी रहा है। उदाहरण के लिए:
- सिंगापुर: यहां का ERP (Electronic Road Pricing) System GPS आधारित टोल कलेक्शन का एक बेहतरीन उदाहरण है।
- नॉर्वे: इस देश में भी टोल प्लाजा नहीं हैं, बल्कि हर गाड़ी से ऑटोमैटिक तरीके से टोल वसूला जाता है।
- जर्मनी: यहां ट्रक और बड़े वाहनों के लिए GPS आधारित टोल सिस्टम पहले से ही मौजूद है।
भारतीय वाहन चालकों को क्या करना होगा?
अगर आप एक वाहन चालक हैं, तो आपको इस नए सिस्टम के लिए कुछ तैयारियां करनी होंगी:
- GPS डिवाइस लगवाएं: आपकी गाड़ी में एक विशेष GPS ट्रैकिंग डिवाइस लगाई जाएगी।
- बैंक अकाउंट लिंक करें: टोल शुल्क ऑटोमैटिक तरीके से कटने के लिए आपको अपने बैंक अकाउंट को इस सिस्टम से जोड़ना होगा।
- मासिक रिपोर्ट देखें: हर महीने आपके खाते से कितनी राशि टोल के रूप में कटी, इसकी जानकारी आपको मोबाइल ऐप या SMS के जरिए मिलेगी।
क्या सभी गाड़ियों के लिए अनिवार्य होगा GPS टोल सिस्टम?
सरकार ने अभी इस पर पूरी तरह से स्पष्ट नीति नहीं बनाई है, लेकिन भविष्य में यह सिस्टम सभी निजी और व्यावसायिक वाहनों के लिए अनिवार्य किया जा सकता है। शुरू में बड़े कमर्शियल ट्रकों और बसों पर इसे लागू किया जाएगा, फिर धीरे-धीरे छोटे निजी वाहनों के लिए भी इसे अनिवार्य किया जा सकता है।
क्या यह FASTag की जगह ले लेगा?
FASTag को भारत में 2019 में लागू किया गया था, जिससे टोल भुगतान को डिजिटल बनाया गया। लेकिन अब GPS आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम इससे भी ज्यादा एडवांस होगा। FASTag में अभी भी गाड़ियों को कुछ सेकंड के लिए धीमा करना पड़ता है, लेकिन नए सिस्टम में ऐसी कोई जरूरत नहीं होगी।
कुछ लोगों को हो सकती हैं ये परेशानियां
हालांकि यह सिस्टम बहुत फायदेमंद है, लेकिन कुछ चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं:
- रूरल एरिया में टेक्नोलॉजी की पहुंच: भारत के ग्रामीण इलाकों में डिजिटल सिस्टम को अपनाने में थोड़ी मुश्किल हो सकती है।
- डेटा प्राइवेसी: गाड़ी की मूवमेंट ट्रैक होने से कुछ लोगों को अपनी प्राइवेसी को लेकर चिंता हो सकती है।
- पहले से मौजूद गाड़ियों में GPS लगवाने की समस्या: पुरानी गाड़ियों में यह नया डिवाइस लगाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
GPS आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम भारत के हाईवे नेटवर्क को ज्यादा स्मार्ट और कुशल बनाने में मदद करेगा। यह सफर को तेज, आसान और बिना रुकावट के बनाने का एक बड़ा कदम है। हालांकि, इसे लागू करने में कुछ शुरुआती दिक्कतें आ सकती हैं, लेकिन लंबे समय में यह देश के करोड़ों वाहन चालकों के लिए फायदेमंद साबित होगा। अब सवाल यह है कि सरकार इसे कितनी जल्दी और कितनी सुचारू रूप से लागू कर पाती है।
अगर आप भी रोजाना हाईवे पर सफर करते हैं, तो यह बदलाव आपके लिए बड़ा राहत देने वाला साबित हो सकता है। आने वाले समय में हमें टोल प्लाजा की लंबी कतारों से पूरी तरह छुटकारा मिलने की उम्मीद है!